Nirdayi bana Insan

कैसा कलियुग आया सबकी,मिटती अब पहचान रे, गौ माता और माता दोनों की,मुश्किल में जान रे। गाय हमारी माता जग में, कहता वेद,पुराण है, मात-पिता के चरणों मे ही, रहता चारो धाम है, एक पिलाती दूध पुत्र को, रक्त से उसे बनाती है, दूजा दूध की गंगा, अपने स्तन से बरसाती है, मगर दूध की […]

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