AKROSH/आक्रोश
हाथों मे सोने का कंगन लिए बाघ,खुद को शाकाहारी बन जाने का ढोंग करता,दुर्योधनी सोच लिए सरहद रौंदने को ततपर पड़ोसीमन में घृणित रोग रखता,दशानन का साधु बन आना,और हर बार तेराछला जाना,आखिर कब तक?आखिर कब तक उस अधर्मी संग धर्म निभाओगे,पाशे का छल,द्रौपदी की चीख,और उबाल लेता धमनियों मेंशोणित की प्रवाह भूल,कबतक?आखिर कबतक उस […]