AKROSH/आक्रोश

हाथों मे सोने का कंगन लिए बाघ,खुद को शाकाहारी बन जाने का ढोंग करता,दुर्योधनी सोच लिए सरहद रौंदने को ततपर पड़ोसीमन में घृणित रोग रखता,दशानन का साधु बन आना,और हर बार तेराछला जाना,आखिर कब तक?आखिर कब तक उस अधर्मी संग धर्म निभाओगे,पाशे का छल,द्रौपदी की चीख,और उबाल लेता धमनियों मेंशोणित की प्रवाह भूल,कबतक?आखिर कबतक उस […]

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Sarhad

Image credit :Google उत्तर,दक्षिण,पूरब,पश्चिम है दुश्मन के घाट-घाट, मेरे राम-रहीमा, थाम ले हमरी बाँह ..रे मोरे राम रहीमा थाम ले हमरी बाँह। जिस धरती पर राम हुए जिसने रावण संहार किया, कृष्ना ने जिस धरती से दुनियाँ को गीता ज्ञान दिया,2 उस पावन धरती पर अब तो दुश्मन देखे झाँक-झाँक, मेरे राम-रहीमा, थाम ले हमरी […]

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