
दिल की बगिया से हवा चली भावनाओं की,
कण कण में जिसके सिर्फ तेरा नाम
मन लिखने को आतुर,
देने को उत्सुक
तुमको
कुछ पैगाम,
दौड़ चली कलम,
बरसने लगे शब्द,
कोरे कागज़ देखते ही देखते रंगीन हो गए,
सच कहें तो दर्द में मेरे गमगीन हो गए,
तपस्या ही है,
चाहत
गुलशने-दिल महकाने की
जिसका लौट आना नामुमकिन,उसे
वापस बुलाने की, उसे वापस बुलाने की।
!!! मधुसूदन !!!
अनिता शर्मा says
सच कहें तो दर्द में मेरे गमगीन हो गए,👌🏼👌🏼
भावविभोर करने वाली बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👏😊
Madhusudan Singh says
पुनः धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।🙏🙏
Rajiv Sri... says
दिल के बगिया से हवा चली भावनाओं की..!👌🏻👌🏻🙏🏻
Madhusudan Singh says
🙏🙏
ShankySalty says
तपस्या कहूँ या सम्मान कहूँ या इंतजार कहूँ
वास्तव में तो यह प्रेम है
जो निस्वार्थ है
अद्भुत है
💕💕💕💕🤗🤗🤗
Madhusudan Singh says
बिल्कुल सही। बहुत बहुत धन्यवाद आपका। स्वस्थ्य रहें,खुश रहें।