TAPASYA
दिल की बगिया से हवा चली भावनाओं की,
कण कण में जिसके सिर्फ तेरा नाम
मन लिखने को आतुर,
देने को उत्सुक
तुमको
कुछ पैगाम,
दौड़ चली कलम,
बरसने लगे शब्द,
कोरे कागज़ देखते ही देखते रंगीन हो गए,
सच कहें तो दर्द में मेरे गमगीन हो गए,
तपस्या ही है,
चाहत
गुलशने-दिल महकाने की
जिसका लौट आना नामुमकिन,उसे
वापस बुलाने की, उसे वापस बुलाने की।
!!! मधुसूदन !!!
अति सुंदर.
बहुत सुंदर .
सुंदर रचना। क्या किया जाए? यादें ऐसी हीं होतीं हैं।
जी बिल्कुल। कभी कभी यादें जीने नही देती और कभी जीने का आधार बन जाती है।
सच कहें तो दर्द में मेरे गमगीन हो गए,👌🏼👌🏼
भावविभोर करने वाली बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👏😊
पुनः धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।🙏🙏
दिल के बगिया से हवा चली भावनाओं की..!👌🏻👌🏻🙏🏻
🙏🙏
तपस्या कहूँ या सम्मान कहूँ या इंतजार कहूँ
वास्तव में तो यह प्रेम है
जो निस्वार्थ है
अद्भुत है
💕💕💕💕🤗🤗🤗
बिल्कुल सही। बहुत बहुत धन्यवाद आपका। स्वस्थ्य रहें,खुश रहें।