UMMID/उम्मीद
सजल नैन,
बालम परदेस,
दशा डराए।
बंद शहर,
कोरोना का कहर,
नींद न आए।
अस्थिर मन,
हिमालय सा अटल,
किसे दिखाएँ।
आह!नियति,
संकट में है प्राण,
कोई बचाए।
रब की पूजा,
करते निशदिन,
चैन ना आए।
बंद झरोखे,
गरजते बादल,
हवा डराए।
ढाढ़स देते,
आएगा मधुमास,
लोग जो आए।
अकेलापन,
अपनो की है भीड़,
कौन हँसाए।
!!!मधुसूदन!!१
बेहतरीन
बहुत बहुत सुक्रिया आपका सराहने के लिए।🙏
सुंदर रचना 👌👌👍
पुनः धन्यवाद सराहने के लिए।
वो सुबह कभी तो आयेगी।
Sukriya apka.
धड़कन बढ़ा देते हो आप सर जी🙏🙏🙏
शब्दों में जान भर देते हो। जैसे जलेबी के हर कोने में रस होता है वैसे ही आपकी कविता में है। जिसे पढ़ “वाह” ही निकलता है😄😄😄
आपकी तारीफ भी कुछ कम नही। सोने पर सुहागा बनाती हुई। एक साथ बहुत बहुत धन्यवाद।
loved it
Dhanyawad apka.