UMMID/उम्मीद

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सजल नैन,
बालम परदेस,
दशा डराए।

बंद शहर,
कोरोना का कहर,
नींद न आए।

अस्थिर मन,
हिमालय सा अटल,
किसे दिखाएँ।

आह!नियति,
संकट में है प्राण,
कोई बचाए।

रब की पूजा,
करते निशदिन,
चैन ना आए।

बंद झरोखे,
गरजते बादल,
हवा डराए।

ढाढ़स देते,
आएगा मधुमास,
लोग जो आए।

अकेलापन,
अपनो की है भीड़,
कौन हँसाए।

!!!मधुसूदन!!१

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