JIWAN
हैं रंग कई इस जीवन के,
डूबे कुछ में कुछ छूट गए,
हैं जश्न अलग हर आयु के,
शामिल कुछ में कहीं चूक गए।
आगे भी जश्न प्रतीक्षारत,
कहे दिल शरीक हो जाऊं मैं,
पर बांध कई जीवन नद में,
जिससे नित ही टकराऊं मैं,
टकराते तुम भी नित हर पल,
सज बैठे ख्वाहिश के रथ पर,
है झूठी शान,दुविधा गुरुर,
बंधे जिसमें जलसों से दूर,
है वक्त वक्त के साथ चलो,
संकोच छोड़ मुस्कान भरो,
पल जी लो जो हैं पास उसे,
पल पल जीवन नद सूख रहे,
कब आए वापस गुजरे पल,
गर चूक गए तो चूक गए,
कब आए वापस गुजरे पल,
गर चूक गए तो चूक गए।
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कितना सुंदर लिखते हो आप, लेखन के साथ- साथ प्रोत्साहन भी कर दिया। कि जो आज है वो कल नहीं होगा, तो जो आज कर सकते हो वो कर लो और समय को हाथ से जाने ना दो। ❤❤ बहुत बहुत सुंदर लेखन
Likhte to aap bhi bahut sunder ho……..ye kavita apke shabdon evam aapki bhavnawon se hi bani hai………bahut bahut dhanyawad apka …..pasand karne ke liye.
आपका बहुत – बहुत धन्यवाद इस सराहना के लिए। मैं तो आपसे ही सीख रही हूँ। और मुझे खुशी है कि आपको मेरा लेखन पसंद आता है 😊🙏🙏
Swagat apka….bahut dinon se apka koyee post nahi aayaa….intejaar hai.
Thank you😊, लिखूँगी जल्द ही एक बढ़िया सा blog😊
😊🙏