Araadhnaa
बिन मांगे सब देनेवाले,
मैं सेवक तूं स्वामी है,
क्या मांगू क्या तुझे बताऊँ,
तुम तो अंतर्यामी है।
तुमसे मैं हूँ,मुझमे तू है,
मेरे सुख-दुःख में भी तू है,
पल-पल की है खबर तुम्हें,
ये तेरी प्रेम की प्यासी है,
क्या मांगू क्या तुझे बताऊँ,
तुम तो अंतर्यामी है।1
निराकार तू घट-घट में,
आकार धरे हम जो चाहे,
मंदिर,मस्जिद,गिरिजाघर,
तुमको ही देखे गुरुद्वारे,
तुझ बिन पत्ता डोल सके ना,
मैं याचक तू दानी है,
क्या मांगू क्या तुझे बताऊँ,
तुम तो अंतर्यामी है।2
धरती तू अम्बर भी तू है,
दो प्रेमी का संगम तू है,
पवन भी तू है जल भी तू है,
अग्नि की लपटों में तू है,
याचक,दाता, दीन,भिखारी,
सबकी जड़ में तू ही तू है,
प्रेम की इस धरती पर तेरी,
कैसी आज बिरानी है,
क्या मांगू क्या तुझे बताऊँ,
तुम तो अंतर्यामी है।3
मुस्लिम के अल्लाह बड़े,
हैं इशू बड़े ईसाई के,
हिन्दू के भगवान बड़े,
हैं भक्त बहुत ही सांई के,
सिक्खों के हैं गुरु,बौद्ध के बुद्ध,
जैन महावीर बड़े,
कितने टुकड़े कर के तेरे,
नफरत में हम आज खड़े,
कहाँ छुपा सब वहम मिटा आ,
और ना चाह हमारी है,
क्या मांगू क्या तुझे बताऊँ,
तुम तो अंतर्यामी है।4
!!!मधुसुदन!!!
बहुत खूब कहा।ईश्वर का अद्भुत बर्णन
बढ़िया पंक्तियाँ
Dhanyawaad pasand karne ke liye…
Very beautiful poem, Madhuji.
Sukriya Sunith ji aapne padha aur pasand kiya….
What a perfect poem!! God is everywhere in every bit of surroundings. True we are nothing without the supreme power
Thanks for your like & valuable comments…
Welcome sir😊
सुन्दर रचना फिर से एक बार। शानदार! Madhusudan Sir
Dhanyawaad meri rachna ko pasand karne ke liye…..
Mjja aagya padhke… Awsm
Sukriya aapne pasand kiya…..
बहुत अच्छा सर – दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
सही कहा आपने।सुक्रिया पढ़ने और पसंद करने के लिए।
बहुत ही अच्छा लिखा है मधुसूदन जी। अंतिम चार लाइन बहुत ही अच्छा लिखा है।
धन्यवाद आपने पसंद किया।
🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
बहुत खूब! उत्तम भाव
पर मधुसूदन जी मुझे शुरू की पहली और तीसरी पंक्ति विरोधाभासी लग रही है! यह मेरा मत है!
सही कहा परंतु दुआ में कुछ भी मांग हो सकता है —ईश्वर स्वप्न में या जैसे भी आराधक को कुछ मागने को प्रेरित हैं फिर ये भाव है आराधक का।वैसे आपके समझ से इससे बेहतर शब्द दिमाग में आये तो जरूर बताएं हम अतिशीघ्र सुधार लेंगे।अभी तो मेरे दिमाग में कोई बेहतर शब्द नहीं आ रहा है।सुक्रिया आपका —
मैंने पहली पंक्ति में सुधार कर दिया भाई जी।
जी शुक्रिया 🙏