शोर चहुँओर तड़प,चीख और पुकार,
किंकर्तव्यविमूढ़ जन,ये कैसी तकरार?
ये तेरा एन.पी.आर,ये मेरा एन.पी.आर!
युग बदल गए कई ना घटती आफतें,
मकड़ियों सी जाल बुन रही सियासतें,
जब भी बढ़ा दर्द बेबसी में रो दिए,
स्वांग आँसुओं का दिखाती सियासतें,
अबतलक समझ सके ना हमने टोपियाँ,
अश्क भरे नैन,दम्भ में है टोपियाँ,
जल रही धरा,कफ़न के भाव बढ़ रहे,
जश्न मेरी लाश पर मनाती टोपियाँ,
वे नचाते,नाचते हम,उनकी बातें,मानते हम,
जानते हैं सत्य मगर हम खड़े लाचार,
दो खिलाड़ियों के बीच छिड़ गई है वार,
ये तेरा एन.पी.आर,ये मेरा एन.पी.आर!
आज दो धडों में पुनः बंट गया है देश,
ख्वाब थे अलग ये कैसा बन गया है देश,
एक तरफ विपक्ष खड़ा,एक तरफ विधान,
तोड़ते विधि और जुबाँ नाम संविधान,
सोच अगर हम यहाँ के फिर हैं क्यों डरे,
या है कोई ख्वाब गुप्त जो है जल रहे,
आए एनआरसी या कोई सीएए कानून,
हम अगर यहीं के फिर ये क्यों बहाएँ खून?
नासमझ थे कल,अड़े हैं आज बन नादान,
भीड़ बने हम बिना पढ़े ही क्यों विधान,
बिछ गई फिर से बिसात,हम बने प्यादे तमाम,
देख जोश में विपक्ष,पक्ष सज्ज तैयार,
शोर चहुँओर तड़प,चीख और पुकार,
ये तेरा एन.पी.आर,ये मेरा एन.पी.आर!
शब्द कड़े सत्य का मैं सार लिख दूँ,
या मैं वाहवाही की किताब लिख दूँ,
या मैं बिगड़े बोल लिखूँ कर्णधार के,
या मैं सहनशील का हिसाब लिख दूँ,
मेरे अश्रुधार बहे,उनके तख्तों-ताज सजे,
हम ना बदल पाए खुद को ना ही उनका प्यार,
जल रहा है देश फिर से छिड़ गई है वार,
ये तेरा एन.पी.आर,ये मेरा एन.पी.आर।
!!!मधुसूदन!!!
aruna3 says
अब तो बर्दास्त की हद हो गई ….
aruna3 says
सब नेताओं की शतरंजी चालें हैं…
Madhusudan Singh says
और प्यादे हमसब।
myexpressionofthoughtsblog says
Wonderful poem sir.
Madhusudan Singh says
Thank you very much.
extinct0703 says
Bahot sahi
Madhusudan Singh says
Dhanywad apka.
ShankySalty says
🙏🙏🙏🙏
Madhusudan Singh says
🙏🙏🙏
Deepti says
Very well written. Absolutely true 👍
Madhusudan Singh says
Thank you very much for appreciations.
Nageshwar singh says
सटीक,, तर्कसम्मत,, उत्कृष्ट प्रदर्शन
Madhusudan Singh says
धन्यवाद भाई जी। शुभरात्रि संग नए साल की अग्रिम शुभकामनाएँ।
Nageshwar singh says
आपकों भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं भाई साहब 🙏
mann says
Bilkul satik…and उत्कृष्ट रचना ।
Madhusudan Singh says
धन्यवाद मित्र पसन्द करने के लिए।