Baap
माँ का कोई मोल नही,
अनमोल है प्रेम,ममत्व,
बाप की कीमत वो क्या जाने,
जिसकी बुद्धि भ्रष्ट,
मोम के जैसा दिल है जिसका,
कौन है ऐसा शख्स,
ठोकर से हर बार बचाने को
रहता है सख्त,
नजर उठाकर देखा जग में,
सबका अपना कष्ट,
पुत्र खुशी की खातिर बस एक,
बाप को देखा मस्त,
अपनी अरमाँ सभी लूटा बस,
बाप को देखा मस्त।
Madhusudan
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100% true…. Khubsurat soch.
dhanyawad apka.
bahut umda likha hai apne or bahut sahi bhi
Sukriyaa Danish ji aaone pasand kiya aur saraahaa.
Very gud
Thank you very much..
bahut khub sir
Thank you very much..
पिता तो पिता है
अपनो की लिए
जीता है
बहुत सुंदर कविता
Sukriya bhayee..