BAHRUPIA/ बहरूपिया
उसे तख्त के लिए तेरा वोट चाहिए,
और उसे पाने के लिए
वो कुछ भी करेगा।
उसे तनिक भी फिक्र नहीं तेरे जाति,धर्म
या तेरी खुशहाली का,
मगर वो सिर्फ तेरा है,
ऐसा स्वांग रचेगा।
दिखलाएगा तुझे तेरे आसपास,
तेरे अपनों में ही तेरे दुश्मनों का अक्स,
वो नफरत का पुनः खड़ा एक दीवार करेगा,
रह जायेंगे फिर तेरे धरे के धरे तेरे ज्ञान और अपनापन,
आओगे तुम निश्चित ही उसके झांसे में,
लड़ोगे,कटोगे,करोगे जंग अपनों से,
उसके खातिर,
रोवोगे तुम
पुनः
और वो पुनः हंसेगा,वो पुनः हंसेगा।
!!! मधुसूदन !!!
Ek kadwa nahee, jahreela sach hai in lines mein! Sadhuwad aapko.
Bahut bahut dhanyawad Sir, pasand karne ke liye…..🙏
Beautiful lines and very true they motivate us as their desire.👏
Pasand karne ke liye bahut bahut dhanyawad.🙏
🙏
चित्रण और कटाक्ष में,, समानता है,,यही तो,, ऐसों की महानता है,, भाई साहब,, कुछ कुछ समय निकाला कीजिए,, अच्छा लगता है,,आप जब लिखते हैं 🙏💐💐
सराहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। हमें भी अच्छा लगता है यहां आकर। ईश्वर की मर्जी।🙏🙏