BULLDOZER/बुलडोजर
किसी का आलीशान मकान,किसी का चमकता दुकान,
किसी का अम्बर ही छत,किसी का फुटपाथ ही सब,
जो देता दो वक्त की रोटी,जो करता जुगाड़,
बिटिया की शादी का,पढ़ाई का,दवाई का,
जहाँ खो गया जीवन जिसका होकर,
वो फुटपाथ रह गया आज,सिर्फ सियासत का ग्रास होकर,
जिधर देखो उधर सिर्फ चलते बुलडोजर।
देश कर रहा तरक्की,
खुश हूँ विश्व मे हो रहा देश का नाम,
फौज की बढ़ती ताकत देख है मुझे भी गुमान,
परन्तु बढ़ती महंगाई,रोजगार घटते,
हाथों से धीरे-धीरे सबकुछ फिसलते,
फिसलते जैसे मुट्ठी से रेत,
अधिग्रहण के नाम कौड़ी के मोल,
किसानों से अफसर लुट रहे खेत,
चौड़ी होती सड़कें,किसानों के बुरे हाल रो कर,
जिधर देखो उधर सिर्फ चलते बुलडोजर।
गजब की होड़ लगी है,
राशन,बिजली,पानी सबकुछ,
मुफ्त दिलाने की,
नारे गरीबी मिटाने की और कार्य
गरीबों और बेरोजगारों की संख्या बढ़ाने की,
काश! ये मुफ्तखोरी का लत ना लगाते,
मन्दिर,मस्जिद,दुकानों को तोड़ने की जगह,
कोई सख्त कानून बना
बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाते,
ना खेलते खेल सियासत का,ना खाते हम दर दर ठोकर,
ना ही घिरते फुटपाथ,ना ही चलते बुलडोजर,
ना ही घिरते फुटपाथ,ना ही चलते बुलडोजर।
!!!मधुसूदन!!!
कडवी सच्चाई । महज चंद पंक्तियों में आज के समय का बेहतरीन वर्णन ।
Bahut bahut dhanyawad apka pasand karne aur sarahne ke liye.
🙏🙏
Waah waah! Khoob kahi.
Bahut bahut dhanyawad apka.
दुखद है,, घरौंदा टूटना
जैसे भाग्य का हो रूठना
असहनीय है पीड़ा
संताप है माटी से टूटना
भाई साहब,,, पता नही,,क्या से क्या होता है,, लगती है ठेस दर्द बहुत होता है सराहनीय प्रस्तुति
Beautiful lines yes we are pressure of bulldozer all the time. Well shared thanks 😊👍
Thank you very much for your appreciations.
It’s pleasure of mine stay blessed 🤗💓