Dil ki Jajbaat
किसे बताएं,
दिल की जज्बात,
बेचैन हम।
तरस रहे,
रिमझिम वारिस,
भींगे हैं हम।
लौट के आजा,
झमझम सावन,
तरसे मन।
बदली जैसी,
पिघल के बरसी,
पिघला मन।
सतरंगी सी,
सपनो की दुनीयाँ,
तू सहजादा।
याद सताये,
मधुर मिलन की,
शाम है आजा।
दिल की बातें,
समझ गया दिल,
प्रेम की भाषा।
भीगते आया,
मानो प्रियतम का,
आया था साया।
बहता पानी,
ठहर गया मन,
मेघ गरजे।
किसे बताएं,
दिल की जज्बात,
मन हरसे।
!!! मधुसूदन !!!
अच्छा लिखा है आपने।
आभार आपका
Very good poem in your unique style
Lots of thanks for your valuable comments.,
dil jeet liya apne to madhusudan ji bahhut hi khubsurat poetry likha hai apne
Sukriya danish ji ……aapne padha pasand kiya….Abhaar aapka.