DIWAS/दिवस!

प्रयावरण दिवस,हिंदी,विश्व धरोहर दिवस,
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस,संविधान दिवस,
न जाने कितने दिवस बनाए,
पन्नो पर उसे सजाए,
मगर हमने बचाए क्या?
ये ना पूछ बैठना,हमने मिटाए क्या?
चीखती नदियाँ,कराहते जंगल,
बेजुबानों के लाश पर मनाते मंगल,
घँटे,अजान से गुंजित धर्मस्थल,
प्रेम कितना शेष अंतस्थल!
गिरिजाघर,मस्जिद,मंदिर सर्वत्र दिख जाएंगे,
और घर-घर गीता,कुरान भी
मगर अपनाए क्या?
ये ना पूछ बैठना,हमने मिटाए क्या?
!!!मधुसूदन!!!

17 Comments

  • हम कुछ नहीं पूछेगे, न ही वक्त पूछेगा
    वस वक्त ही बताएगा
    सच कहता हूँ
    वक्त है
    सुधर जाओ
    सुना है न “हम सुधरेगें युग सुधरेगा…हम बदलेगें युग बदलेगा”

    • अगर नही सुधरे तो हमें सुधार दिया जाएगा। इतनी ताकत हमें बनानेवाले ने अपने पास सुरक्षित रखा है।

  • हम मानव बड़े स्वार्थी होते हैं. अपने स्वार्थ के लिए दुनिया और प्रकृति का शोषण करते हैं. ये विशेष दिन हमें याद दिलाते हैं कि हमें सभी का सम्मान करना चाहिए.

  • 👌🏻👌🏻👌🏻

    जिस काग़ज़/लकड़ी की तख़्ती पर ‘पेड़ बचाओ’ का संदेश लिखा;
    विडंबना देखिए, वो काग़ज़, उन पेड़ों को ही काटकर बनाया था।

    😌🙏🏻

    • क्या खूब कहा। और सत्य भी।
      दिखावे की दुनियाँ परवाह नही कुछ।

  • Sach baat badhiya lekhan❤😃✨

    “कहणि सुहेली रहणि दुहेली,
    कहणि रहणि बिन थोथी।”

    कोरा उपदेश देना या ज्ञान की बात करना सरल है, पर उसके अनुरूप आचरण करना या उस ज्ञान को जीवन में उतारना कठिन है, दुर्लभ है।

    (गोरखबानी)

    गीता कुरान सबके पास होगी पढ़ी समझी और apply सबने न की होगी💐

    • बहुत बढ़िया गोरखबानी।
      गीता या कोई भी ग्रँथ जिसने पढा होगा उसका दिल निर्दयी नही हो सकता।

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