जिंदगी के जाल में,जिंदगी के जाल में,
खुद लिखेंगे भाग्य जब भी होंगे विकटकाल में,
जिंदगी के जाल में।
ये जिंदगी है एक सफर,
क्या पता कहाँ बसर,
ये चलते चले पग निडर,
ना पूछ चल पड़े किधर,
कहीं सुगम डगर कहीं,
मुशीबतों के तुंग थे,
कभी भँवर के बीच कभी,
जश्न के समुद्र थे,
मैंने कई बार गिरा,
गिरकर उठना है सीखा,
वो बना यहाँ महान,
उसकी होती यशो-गान,
जिसकी नाव जितनी बार फँसी मझधार में,
जिंदगी के जाल में,जिंदगी के जाल में।
क्यों खड़े उदास,
कौन राह सुगम ढूँढते,
वीर वही राजतिलक
त्याग वन को पूजते,
तुम भी नही भीरु,
तुम में बल है परशुराम के,
द्वारका पुकार रही,
तुम हो पुत्र श्याम के,
कापुरुष की ये ना धरा,
कर्महीन यूँ ही मरा,
कापुरुष या वीर हो,
उद्विग्न या गम्भीर हो,
कौन ना फँसा यहाँ, इस जगत की चाल में,
क्यों ना लड़ूँ ये कदम फंसे अगर भूचाल में,
जिंदगी के जाल में,जिंदगी के जाल में।
!!!मधुसूदन!!!
aruna3 says
हाँ जी,यही तो हमारी धरती माँ की विशेषता है और भारत माँ के मष्तिक का गौरव…बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति….
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद। बहुत अच्छा लगा आपको देखकर।
PERKY says
Prernadayak panktiyan madhusudan ji hamesha ki tarah, dhanyavaad aapka hum sabse sanjhi karne k liye.
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanyawad ji.🙏
TanvirKaur says
Beautiful lines written . What ever the circumstances are there in life never give up. How are you sir? It’s been long time since you have been regular . Hope all well at your end.
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanyawad apkaa. Maqf kijiyegaa aapki upasthiti ko dekh nahi paqyaa…..sakushal hain aur kushaltaa ka ishwar se prarthna karta hun. 🙏
TanvirKaur says
It’s nice to hear all is good at your end sir.
Sikiladi says
bahut sunder.
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
AnuRag says
बहुत सुंदर ❤️
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
ShankySalty says
क्यों खड़े उदास,
कौन राह सुगम ढूँढते,
वीर वही राजतिलक
त्याग वन को पूजते,
तुम भी नही भीरु,
तुम में बल है परशुराम के,
द्वारका पुकार रही,
तुम हो पुत्र श्याम के,
कापुरुष की ये ना धरा,
कर्महीन यूँ ही मरा,
कापुरुष या वीर हो,
उद्विग्न या गम्भीर हो,
यह पंक्तियाँ एक उर्जा का संचार करती है💕😇
इसे केवल मैं शब्द तक नहीं समझता हूँ। यह तो भावना है एक जो उर्जा का रूप ले करके हर पढने वाले के भीतर समाई है🙏😊
Madhusudan Singh says
बहुत अच्छा लगा। लिखना सार्थक हुआ। बहुत बहुत धन्यवाद।
अनिता शर्मा says
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति 👏👏
Madhusudan Singh says
पसन्द करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।🙏