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जीवन एक सफर,
कहीं गमों के गड्ढे,
कहीं खुशियों की डगर,
सुख-दुख,उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी,
मगर चिंतित कहाँ वो,जिसकी मंजिल पर नजर।
ऐ मन मत हो उदास,हमें भी मुस्काने दे,
माना टूटे हैं सपने,नए सपने सजाने दे,
यहीं तो मिला था,जो खो गया,
और भी है खुशियाँ राहों में,
क्यों इतना तूँ रो रहा,
आ भूल कल की बातें,नई दुनियाँ बना लें,
उम्र काटने से बेहतर,हँसकर जिंदगी बिता लें,
ये जीवन खुशी संग गमों का भी घर,
आज है शाम कल होगी सहर,
कब रुका निमेष,शशि
या दिनकर,
मत रुक तुम भी,
बढ़ता चल,
चाहे सुगम हो सेतु,
या उफनती नद-लहर,
है ये जीवन एक सफर,है ये जीवन एक सफर।
!!!मधुसूदन!!!
harinapandya says
Very beautiful poem..
Madhusudan Singh says
Dhanyawad apka.
ShankySalty says
जन्म और मृत्यु के बीच ज़िंदगी का एक प्रेरणादायक सफर बयान कर दिया है आपने💐😊
Madhusudan Singh says
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.