Kaisi Daud/कैसी दौड़

दौड़ लगी जीवन में कितने आगे,
देखो निकल गए,
सबकुछ है अब पास मगर,
सुख चैन हमारे बिखर गए,
खोज रहे अब ध्यान-योग में,
कहाँ गया वह शांत ह्रदय,
आज भी अबूझ पहेली जीवन,
सुलझे हैं या उलझ गए ।

!!! मधुसदन !!!

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