Khwahish/ख्वाहिश

हमारे एक प्रिय ब्लॉगर Padmaja ramesh जी की रचना से प्रभावित होकर लिखी गई रचना–

विस्मृत ना होती यादें और पल गुजरे वापस आ आते,
काश कि हम बच्चे बन जाते,काश कि हम बच्चे बन जाते।
है ख्वाहिश फिर से पढ़ने की,यारों संग मस्ती करने की,
था नही बदलना कुछ विशेष,करते जो छूट गया है शेष,
नाना,नानी का सत्य स्नेह,पाते पापा का वही प्रेम,
माँ का फिर से पाते ममत्व,जो बोधहीन समझे ना तत्व,
फिर रूठते हमें मनाती माँ,हँसने से हमें मुस्काती माँ,
हम जिसे रुलाए कल अबोध,उसको सुकून दे पाते,
काश कि हम बच्चे बन जाते,काश कि हम बच्चे बन जाते।
ख्वाहिश कुछ और ना करने की,हमसफ़र को नही बदलने की,
फिर यही हमारा पूत होता,सोचो कैसा तब सुख होता,
कुछ नही बदलना दशा,हाल,कायम रखना है शर्म,लाज,
माना गर ऐसा हो जाए,हमसब गर बच्चे हो जाएं,
आ जाए फिर से वही वक़्त,चिट्ठी पत्री का पुनः चक्र,
तुम दूर कहीं,हम दूर कहीं,मिल पाने से मजबूर कहीं,
फिर से अपनी शादी होगी,जो हुआ कभी क्या तब होगी,
हम तुम बिन क्या जी पाएंगे,यादों से निकल क्या पाएंगे,
खो जाएंगे सब मीत,सखा,जो मिले हैं कम सौभाग्य है क्या?
तब और अधिक गम पाएंगे,जब हम बच्चे बन जाएंगे,
ना,नही पुनः बच्चा बनना,हूँ जैसा वैसा ही रहना,
जो शेष बचे पल जीवन के,उस पल का लुत्फ उठाएंगे,
जो जिया नही है जीवन में,वो औरों को दे जाएंगे,
है नही गिला इस जीवन से,ना ख्वाब हृदय में लाते,
काश कि हम बच्चे बन जाते,काश कि हम बच्चे बन जाते।

22 Comments

  • दिल के अभी थोड़ा कच्चे होते..!
    काश..कि अभी हम बच्चे होते.!!

    अद्भुत कल्पना सर.!👌🏻👌🏻🙏🏻

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