Kisaan aur Mansoon
मानसून हर बार कडा एक्जाम लेता है,
मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है|
ग्रीष्म का तांडव देख के,
धरती का भी फटा कलेजा था,
जीव,जंतु संग मानव पर भी,
मौत ने डाला डेरा था,
इंतजार अब ख़त्म मेघ बौछार करता है,
मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है|
सूखे चारे खा खाकर थे,
जीव-जंतु बेहाल हुए,
धरती की हरियाली के संग,
मरणासन्न भी जाग उठे,
सौंधी महक धरा का जीवन दान देता है,
मानसून हर बार कडा एक्जाम लेता है।
संसय मन में मानसून का,
छलिया छलते रहता है,
फिर भी कोठी के मुख खोल के,
कृषक खेत में भरता है,
रात ना जाना दिन कैसा है,
कठिन परिश्रम करता है,
एक-एक पौधे पर अपना,
जीवन अर्पित करता है,
खेतों की हरियाली फिर मुस्कान देता है,
मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है|
मगर ख़ुशी पर ग्रहण लगाता,
मानसून तड़पाता है,
अतिबृष्टि और अनाबृष्टि के,
चक्र में उसे रुलाता है,
फसलें बहती अतिबृष्टि से,
अनाबृष्टि सब राख करे,
खाली कोठी,ऋण कृषक का,
फिर जीना दुस्वार करे,
मगर खेत से प्रेम हाथ हल थाम लेता है,
मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है|
बादल बरसे,कृषक मगन,
हर गाँव में रौनक है आया,
गहने,खेत को गिरवी रख,
फिर खाद,बीज घर ले आया,
पुरखों की है खेत निशानी,
उसको छोड़ नहीं पाते,
मानसून छलिया को छोड़ के,
साथ ना कोई हैं आते,
छल करता इस बार या जीवनदान देता है,
मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है|
मानसून हर बार कडा एक्जाम लेता है,
मज़बूरी है कृषक का सीना तान लेता है|
!!! मधुसुदन !!!
Wah wah wah
Thanks for appreciation….
My pleasure 😇
बढ़िया
Sukriya sir…
सराहनीय 👍👍
Abhaar aapka….
Bahut sundar 👏
Aapko pasand aayaa dhanyawaad apko.
Welcome Sir 😊
mast …
Sukriya aapka…
https://madhureo.wordpress.com/2017/04/25/1243/