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ना सोचे,ना समझे हवा सा बहे हम,
मुहब्बत की राहों में यूँ चल पड़े हम।
तुम्हें जब से देखा,तुम्हें सोचते हैं,
पलक बंद में भी तुम्हें देखते हैं,
तुम्हारी ही यादों में रहने लगे हम,
मुहब्बत की राहों में यूँ चल पड़े हम।
जमाने मे कलतक जशन जीत में थी,
कभी हार जाऊँ ये मुमकिन नही थी,
मगर हार दिल अब उछलने लगे हम,
मुहब्बत की राहों में यूँ चल पड़े हम।
कई आदतें अब हवा हो गए हैं,
मुहब्बत में तेरे फना हो गए हैं,
नशा तेरी बातें,नशा तेरी साँसें,
नशा कर गई तेरी एक मुलाकातें,
नशा आज सजने संवरने लगे हम,
मुहब्बत की राहों में यूँ चल पड़े हम।
तुम्हें क्या खबर कैसी हलचल मची है,
बेताबी नयन,दिल की धड़कन बढ़ी है,
मुझे दो इजाजत,करूँ मैं इबादत,
कयामत तलक हम करेंगे हिफाजत,
तुम्हें रब से ज्यादा समझने लगे हम,
मुहब्बत की राहों में यूँ चल पड़े हम,
मुहब्बत की राहों में यूँ चल पड़े हम।
!!!मधुसूदन!!!
aruna3 says
वाह ,बहुत खूबसूरत कविता है🌷🌷🌷
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Shantanu Baruah says
Amazing Poetry
Madhusudan Singh says
Thank you very much dost.
Shantanu Baruah says
My pleasure always
Rekha Sahay says
बहुत ख़ूब !
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका।
Pankh says
My pleasure sir
Pankh says
Very beautiful poem sir……
Madhusudan Singh says
Thank you very much for your valuable comments.
Nimish says
बहुत ही सुन्दर रचना …बहुत रोमांटिक हैं दा ❤😍😍😍☺ ek ek line बहुत प्यारी
Madhusudan Singh says
अच्छा लगा जानकर की आपको अच्छा लगा।👌👌
brijkaulblog says
very nice lovely love poem .Enjoyed greatly.
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanyawad apka.
brijkaulblog says
Thanks sirji
Sngms says
लाजवाब 👍
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Sngms says
🙏