NIMANTRAN/ बुलावा
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एक पड़ोसी मुल्क हमारे देश से नफरत करता है,
जब भी मिलता मौका छलनी माँ का सीना करता है,
तुम मेरे ही भाई कह,कह लाल देश के हार गए,
मुश्किल समझाना उसको महिपाल देश के हार गए,
उसी मुल्क का राजा बन बैठा है मेरा यार,
अगर मिलूँ उस यारा से कहलाऊँगा गद्दार,
मिलने कैसे जाऊँ,
भेजा उसने हमें निमंत्रण कैसे हाथ मिलाऊँ।
कलतक घर,माँ-बाप साथ में,अब होगा दरबार साथ में,
साथ मे होगा सेनानायक,वही वतन का है खलनायक,
उसने कितने कोख उजाड़े,अब भी नयन बरसते सारे,
जीवन कितने बोझ बने और,आँचल भींगे अब भी सारे,
कितनों के श्रृंगार उतर गए,जिसका जिम्मेवार वही,
कितनों के परिवार बिखर गए,उसका जिम्मेवार वही,
उसी क्रूर सेनानायक को कैसे गले लगाऊँ,
मिलने कैसे जाऊँ,
भेजा उसने हमें निमंत्रण कैसे हाथ मिलाऊँ।
मैं भी हिस्सेदार वतन का,मुझपर भी है नाज वतन का,
कैसे मेरा यार कोई जो करता है अपमान वतन का,
मन मे क्यों ये प्रश्न हमारे,क्यों दुविधा में जान हमारे,
राजा बन जो दिया बुलावा,ठुकराये क्यों पल ये प्यारे,
कितना मेरा मान बढ़ेगा,एक राजा सम्मान करेगा,
देख मुझे दरबार में यारा,बढ़कर इस्तकबाल करेगा,
मैं ना जानुं राजधर्म ना देश का इज्जत यार,
यार तजूँ या मिल आऊँ और कहलाऊँ गद्दार,
मिलने जाएँगे,
मर्जी जो कह ले गद्दार,मिलने जाएँगे।।
!!!मधुसूदन!!!
“बिभीषन राम से मिल गए तो रावण के लिए गद्दार कहे गए,और युधिष्ठिर का हक छीनकर अड़े दुर्योधन के साथ खड़े भीष्म हस्तिनापुर और अपने राजा के लिए वफादार।”
“चाणक्य:- दुश्मन का दुश्मन,दोस्त होता है और दुश्मन का दोस्त भी दुश्मन।”
“मेरे लिए दोनों ही आक्रामक और प्रिय हैं मग़र जब भी देश की बात आती है,ताली सदैव देश के साथ ही बजती है। एक ने अपनी धार दिखा दी,बारी अब दूसरे की है।हम भारतीय किसी को जल्दी गद्दार नहीं कहते,भले ही वफादार कह धोखा खा लेते हैं।”
Ek padosee mulk hamaare desh se napharat karata hai,
jab bhee milata mauka chhalanee maan ka seena karata hai,
tum mere hee bhaee kah,kah laal desh ke har gae,
mushkil samajhaana usako mahipaal desh ke haar gae,
usee mulk ka raaja ban baitha hai mera yaar,
agar miloon us yaara se kahalaoonga gaddaar,
milane kaise jaoon,
bheja usane hamen nimantran kaise haath milaoon.
kalatak ghar,maan-baap saath mein,ab hoga darabaar saath mein,
saath me hoga senaanaayak,vahee vatan ka hai khalanaayak,
usane kitane kokh ujaade,ab bhee nayan barasate hain,
jeevan kitane bojh bane aur,aanchal bheenge rahate hain,
kitanon ke shrrngaar utar gae,jisaka kasooravaar vahee,
kitanon ke parivaar bikhar gae,usaka jimmevaar vahee,
usee kroor senaanaayak ko kaise gale lagaoon,
milane kaise jaoon,
bheja usane hamen nimantran kaise haath milaoon.
main bhee hissedaar vatan ka,mujhapar bhee hai naaj vatan ka,
kaise mera yaar koee jo karata hai apamaan vatan ka,
man me kaise prashn hamaare,kyon duvidha mein jaan hamaare,
raaja ban jo diya bulaava,thukaraoon kyon pal ye pyaare,
kitana mera maan badhega,ek raaja sammaan karega,
dekh mujhe darabaar mein yaara,badhakar istakabaal karega,
main na jaanun raajadharm na desh ka ijjat yaar,
yaar tajoon ya mil aaoon aur kahalaoon gaddaar,
milane jaenge,
kah lo hamen sabhee gaddaar,milane jaenge..
!!!Madhusudan!!!
“bibheeshan raam se mil gae to raavan ke lie gaddaar kahe gae,aur yudhishthir ka hak chheenakar ade duryodhan ke saath khade bheeshm hastinaapur aur apane raaja ke lie vaphaadaar.”
“chaanaky:- dushman ka dushman dost hota hai aur dushman ka dost bhee dushman.”
Yes Sir ,. There is no compromise for country’s love…For showing our patriotism..
Phenomenal creation..
Absolutely….Thanks for your appreciations.
Yours welcome Sir..
Waah!
Dhanyawad apka.
Katu satya kaha hai apne.
Dhanyawad apka apne pasand kiya aur saraha.
वाह ! बहोत बढ़िया …
Dhanyawad aapka pasand karne aur sarahne ke liye.
अब तो इंतेजार रहेगीं आपकी रचनाओं की नित,
क्षमा करें कि कुछ समय के लिए ही जो रह गया था मैं वंचित।
स्वागत आपका।
“उसी क्रूर सेनानायक को कैसे गले लगाऊँ, मिलने कैसे जाऊँ, भेजा उसने हमें निमंत्रण कैसे हाथ मिलाऊँ।”
उम्दा! क्या व्यख्यान ये आज-कल की गाथा पर। बहुत कमाल मधु सर्।
बहुत दिन हो गए थे आपकी कविता पढ़े, वही निरंतरता वही गहराई।
वाकई मज़ा आ गया।
शानदार जबरदस्त जिंदाबाद!
धन्यवाद विकाश जी बहुत दिनों बाद वर्डप्रेस पर आपका आना हुआ।बहुत बहुत धन्यवाद आपने अपना बहुमूल्य समय देकर कविता को पढ़ा और सराहा।
हाँ कुछ परीक्षाओं की तैयारी में व्यस्त था, परन्तु अब निरंतरता पर ध्यान रहेगी और आपकी कवितायें पढ़ता रहूंगा।
I just loved it❤
“बिभीषन राम से मिल गए तो रावण के लिए गद्दार कहे गए,और युधिष्ठिर का हक छीनकर अड़े दुर्योधन के साथ खड़े भीष्म हस्तिनापुर और अपने राजा के लिए वफादार।”
Thank you very much for your appreciations.