SAMARPAN
ख़ुशी नहीं हम सिर्फ गम चाहते हैं,
उसे दे दो ख़ुशी जिसे हम चाहते हैं|
मैं हूँ चकोर मेरा चाँद कहीं और है,
आँखों में आँसू की बात कोई और है,
दिल में जो गम उसे हम चाहते है,
उसे दे दो ख़ुशी जिसे हम चाहते हैं|
गुलशन गमगीन,गुलदस्ते में गुल है,
हँसते गुलदस्ते में जकड़ा वो फूल है,
जीवन को थोड़ा सा कम चाहते है,
उसे दे दो ख़ुशी जिसे हम चाहते हैं।
सागर की लहरों सी आती है खुशियां,
किनारों को छूकर के जाती हैं खुशियां,
गम जबतलक मेरी मर्जी है संग में,
मगर अपनी मर्जी से आती खुशियां,
आती हैं खुशियां तो खिलते हैं फूल,
जाते ही खुशियों के चुभते हैं शूल,
ऐसे ही गुल को अब हम चाहते हैं,
उसे दे दो ख़ुशी जिसे हम चाहते हैं|
!!! मधुसूदन !!!
Nice lines Madhusudan ji
सुंदर!
Dhanyawaad aapka…
Most Welcome
Kitne khoobsoorat vichar hain apke !
Samarpan shabd par ek Kavita Meri b draft m pdi Hai kbhi publish nahi ki 🙏😀
Sukriya aapkaa pasand karne ke liye…
सुंदर अति सुंदर!!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
ख़ुशी नहीं हम सिर्फ गम चाहते हैं,
उसे दे दो ख़ुशी जिसे हम चाहते हैं|
bahut khub madhusudan ji har bar apki lekhni hamara dil jeet leti hai
Aapa taarif aur darshayee gayee kamiyan dono hi mere liye bahut kimti hai….Sukriya aapne pasand kiya…
गुलशन गमगीन गुलदस्ते में गुल है…. वाह क्या बात कही…बहुत ही अच्छी रचना
सुक्रिया पसंद करने के लिए।
Very nice 👌 👌
Awesome 😊
सुक्रिया आपका।
स्वागत है