उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम,
है दुश्मन के घाट-घाट,
मेरे राम-रहीमा,………थाम ले हमरी बांह ……रे मोरे राम रहीमा………..थाम ले हमरी बांह।।
ये धरती है राम का जिसने,
रावण का सहार किया,
भूल गयी दुनियां कृष्ना ने,
यहीं से गीता ज्ञान दिया,2
इस पावन धरती पर अब तो,
दुश्मन देखे झांक-झाँक,
मेरे राम-रहीमा,………थाम ले हमरी बांह ……रे मोरे राम रहीमा………..थाम ले हमरी बांह।।
यहीं हुए हैं महावीर और,
बुद्ध ने यहीं पर जन्म लिया,
सत्य-अहिंसा का दुनिया को,
यहीं से उसने मंत्र दिया 2
ऋषियों की इस तपोभूमि पर,
दुश्मन देखे झाँक-झाँक,
मेरे राम-रहीमा,………थाम ले हमरी बांह ……रे मोरे राम रहीमा………..थाम ले हमरी बांह।।
बिना शस्त्र के पस्त किये उस,
गांधी को सब भूल गया,
लाल-बाल और पाल को भी,
लगता है दुश्मन भूल गया,
इन बीरों की इस भूमि पर,
दुश्मन देखे झाँक-झाँक,
मेरे राम-रहीमा,………थाम ले हमरी बांह ……रे मोरे राम रहीमा………..थाम ले हमरी बांह।।
दुश्मन सरहद पार खड़ा,
एक साथ में अंदर रहता है,
तेरी धरती माँ पर दोनों,
छुपकर हमला करता है,
जहां भगत सिंह हर बच्चा,
हर गली में है आज़ाद खड़ा,
कफ़न बांध सिर सरहद पर,
सेना है सीना तान खड़ा,
दे इतनी शक्ति दुश्मन का,
गर्दन दूँ अब काट-काट,
मेरे राम-रहीमा,………थाम ले हमरी बांह ……रे मोरे राम रहीमा………..थाम ले हमरी बांह।।
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम,
है दुश्मन के घाट-घाट,
मेरे राम-रहीमा,………थाम ले हमरी बांह ……रे मोरे राम रहीमा………..थाम ले हमरी बांह।।
Madhusudan
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Confused Thoughts says
Utkrasht kavita Hai !
Apne isko bde lay aur Josh Mei likha Hai !
Bhut Sundar
Madhusudan says
धन्यवाद शुभांकर जी आपने पसंद किया और सराहा।
Gouri (Gourav Anand) says
Sir bahut dinon se aap dikhe nahi
Madhusudan says
Tabiyat thik nahi tha bhaayee…..sukriyaa yaad rakhne ke liye…..
Gouri (Gourav Anand) says
Aur yaha Hamare phone ki mrityu ho gayi
yupankur says
Wah
Madhusudan says
धन्यवाद आपका।
yupankur says
Sir g mere new post dekhiyega jarur