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जब तलक है तिरंगा है शान मेरा,तेरे क़दमों मेंअर्पित है जान मेरा।
यूँ तो टुकड़ों में कल आज भी हैं बंटे,
धर्म जाति से ऊपर नहीं उठ सके,
क्या हुआ क्षेत्र में हम हैं बिखरे हुये,
हैं मगर इस तिरंगे में सिमटे हुये,
इस महापर्व पर है शान मेरा,तेरे क़दमों में अर्पित है जान मेरा ।
हम झुकें पर तिरंगा ना झुक पायेगा,
हम मिटे पर तिरंगा ना मिट पायेगा,
धर्म जाति को कुर्बान कर देंगे हम,
बँट गए क्षेत्र को एक कर देंगे हम,
इस तिरंगे में लिपटा जहान मेरा,तेरे क़दमों में अर्पित है जान मेरा ।।
अपनी कुर्बानियों को ना भूलेंगे हम,
कैसी होती गुलामी ना भूलेंगे हम,
कतरा-कतरा बहा देंगे हम जिस्म का,
देश की मान झुकने नहीं देंगे हम,
मरते दम तक करेंगे गुणगान तेरा,तेरे कदमो में अर्पित है जान मेरा।
जब तलक है तिरंगा है शान मेरा,तेरे क़दमों मेंअर्पित है जान मेरा ।।
Madhusudan
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myexpressionofthoughtsblog says
Wish you the same with affectionate and passionate poem dedicated to our country!!
Madhusudan says
Thank you very much…&..Happy Independence day…..