SISKIYAN/सिसकियां
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सिसकियों में रिस रहे अरमान तिल,तिल,
खो गया अपना कोई गुमनाम है दिल।
जश्न में डूबा यहां सारा जमाना,
हम हँसे कैसे कोई हमको बताना,
मर्ज कैसा है समझता है मेरा दिल
खो गया अपना कोई गुमनाम है दिल।
खौलता दरिया गमों का कौन जाने,
रक्त बहता बन के आँसू कौन जाने,
ढूंढता है राह दिल से एक बवंडर,
बाँध कर रखा कहें कैसे समंदर,
क्या हुआ कैसे कहें है कौन कातिल,
खो गया अपना कोई गुमनाम है दिल।
है कहीं आंखों से जो आँसू मिटा दे,
खो गया है देख जिसको मुस्कुरा दें,
जश्न दिल में था वहीं तूफान कैसा,
जो चहकती गुल वही वीरान कैसा,
ढूंढती नजरें तड़पता है मेरा दिल,
खो गया अपना कोई गुमनाम है दिल।
जब भी कोई दर्द अपना पास लाए,
दास्ताँ हमको सुना आँसूं बहाए,
देख मौका चीखता तब दिल हमारा,
वे समझते दर्द उनका है हमारा,
रो नही जी भर के पाता है मेरा दिल,
खो गया अपना कोई गुमनाम है दिल।
!!!मधुसूदन!!!
sisakiyon mein ris rahe aramaan til,til,
dhoondhatee najaren tadapata hai mera dil,
सुन्दर अभिव्यक्ति
Dhanyawad apka.
Siskiyon ke baad muskaan ki bahaar aati h
Bilkul esi me jindgi gujar jaati hai.aabhaat apka.
जुदाई का अपना ही मजा है
कब रहा है कब्जे मे दिल
जालिम ‘इश्क ‘ही वो वजह है
लाजवाब पेशकश
वाह वाह।लाजवाब पंक्तियाँ।धन्यवाद मित्र।