Siwa tumhare/सिवा तुम्हारे

कैसे मैं कुछ और सुना दूँ,
गीत नही कुछ सिवा तुम्हारे,
कैसे दिल कहीं और लगा लूँ,
मीत नही कोई सिवा तुम्हारे,
मैं ना जानु सत्य यहाँ क्या,
ना मैं जानु झूठ है क्या,
तुमको देखा देख लिया जग,
मैं ना जानु हूर है क्या,
तुम ही मय,तुम ही मदिरालय,
तुम ही देव,मेरे देवालय,
तुम ही धड़कन जान तुम्ही है,
सपने सब अरमान तुम्ही है,
तुम ही लफ्ज,तुम ही श्वासों में,
तुम ही धुन,तुम जज्बातों में,
कैसे कह दूँ कहाँ नही तुम,
वहाँ नहीं कुछ जहाँ नही तुम,
देख हृदय के कण-कण में तुम,
और नही कुछ सिवा तुम्हारे,
कैसे दिल कहीं और लगा लूँ,
मीत नही कोई सिवा तुम्हारे,
कैसे दिल कहीं और लगा लूँ,
मीत नही कोई सिवा तुम्हारे।

!!!Madhusudan!!!

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