Kya Chand bhi kabhi Rota hoga/क्या चाँद भी कभी रोता होगा!
कीमती वस्त्र,आभूषणचेहरे पर रेशमी घूंघट,और घूँघट से झलकता चाँद देख,पुरुष क्या,नारियाँ भी आहें भरती होंगी,कैसा होगा उसका बिछौना,कैसा होगा घर,वाह!क्या किस्मत पाई है,निश्चित ही मखमल पर सोती होगी,कौन सोचता होगा उसे देखकर,कि वह भी कभी रोती होगी।दिनभर की उलझनों से इतर,निशा के अंधेरे में,दरवाजे को बंदकर,तकिए में मुँह दबाए,ताकि रोने पर कोई सिसकी ना सुन […]