DILEMMA/उहापोह
मैं धरती तुम गगन हमारे,सूरज,चंदा,चमन हमारे,काया मेरी जान तुम्ही हो,धड़कन मेरे प्राण तुम्ही हो,बेशक नयन हमारे उनमे बस तेरे ही रूप रे पगले,भरी दुपहरी ढूँढ रहा क्यों,इधर-उधर तुम धूप रे पगले।मैं राही तुम सफर हमारे,मंजिल तुम हमसफ़र हमारे,तुम ही मेरे काशी,काबा,तुम चितचोर मेरे,मैं राधा,तुम ही हो प्रारब्ध,मुकद्दर और मैं तेरी हूर रे पगले,भरी दुपहरी ढूँढ […]
Posted in DIL, Hindi Poem51 Comments on DILEMMA/उहापोह