Insan aur Singhashan (Part..2)

Click here to read part..1 मैं एक अदना सा इंसान, सदियों से मेरी एक उलझन,रोटी,कपड़ा और मकान, मैं एक अदना सा इंसान। कर देकर भी मुक्त हुए ना, हम सब पहली बार, कोड़ों की बरसात हुई थी, हम पर पहली बार, नंदबंश का राजा था वह, धनानंद था नाम, मानव को मानव ना समझा, मुश्किल […]

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Insan aur Singhashan(Part.1)

मैं एक अदना सा इंसान, जग में मेरी क्या पहचान, मेरी सदियों से एक उलझन, रोटी,कपड़ा और मकान,मैं एक अदना सा इंसान। राजतन्त्र या लोकतंत्र हो, या हो खेल सिंघासन का, जाति,धर्म या देश की सीमा, या हो खेल बिभाजन का, बातें सब ये बहुत बडी है, सदियों से इससे अनजान,मैं एक अदना सा इंसान। […]

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