MAT RUK JAANAA/मत रुक जाना
Image Credit: Google पल-पल राहों को गढ़ता चल,ऐ मानव तूँ नित् चलता चल, ऐ मानव तूँ नित् चलता चल। क्या खोया सोंच के मत रोना,तूँ हार मान यूँ मत सोना, बहती दरिया का धार है तू,भूगर्भ पड़ा अंगार है तू, पत्थर क्या पर्वत भी तेरे,राहों को रोक ना पाएगा, जो खुद दरिया-हुताशन,सपना उसका कौन जलाएगा, […]