Marham
दिल भी मेरे दर्द भी मेरे, दिल में गहरे जख्म भी मेरे, दर्द जिगर का सुनकर भी क्यों,आँख से आंसू ना निकला। जिसकी मरहम तेरी आँसूं,दिल कैसा जो ना पिघला। किश्ती का ऐ बड़ा मुशाफिर, सागर ना पहचान सका, आँखों में रहकर भी मेरे, दिल को ना तू जान सका, मोम की पुतला जैसी थी […]
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