Mrigtrishna/Pyaasi Jindagi
जिनके घर कच्चे है महल को,दूर से देख तरसते हैं, उनको क्या मालुम वहाँ पर,निसदिन आंसू बहते है। देख लिया दौलत महलों का,मन की त्रिसना ना देखा, हँसी,ठिठोली देखी उनकी,अंतर्द्वन्द नहीं देखा, चोरी का डर वहां किसी को,इनकम टैक्स के छापे का, भाई को भाई से डर है,छल से माल छुपाने का, महल बड़ा पर […]