Purane din

क्यों गुमशुम हो आओ,उस दौर की बाते करते हैं, अविकसित ही सही उस गुलशन की सैर करते हैं। इंटरनेट,मोबाइल से हम बिलकुल अनजान थे, टी.वी. और रेडिओ भी चाँद के सामान थे, सफर में गाडी बामुश्किल मिला करती थी, फिर भी थी मस्ती तू साथ रहा करती थी| आज भी वो याद है तेरा मुश्कुराना, […]

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