VIDHWA/विधवा
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कभी कभी मन व्याकुल होता अब भी पर
समझाए कौन ?
आँखों से खोए सपने
मुस्कान को वापस लाए कौन?
कलतक जन्नत फीकी जिससे
सेज नहीं वह भाती,
काँटे क्या मखमल भी पलपल
फूल को डंक चुभाती,
नित रिसते सैलाब नयन,
धीरज का बाँध बंधाये कौन?
आँखों से खोए सपने
मुस्कान को वापस लाए कौन?
तन का ले श्रृंगार उड़ा एक
सौत-पवन का झोका,
श्वेत-वसन में ख्वाब झुलसते,
किस्मत ने दी धोखा,
चीख रहा दिल मौन जुबाँ,
इस दर्द का अगन बुझाए कौन?
आँखों से खोए सपने
मुस्कान को वापस लाए कौन?
‘विधवा’ का क्या ख्वाब पूछ लें,
फुर्सत किसे यहाँ है,
रंगों की इस दुनियाँ में
‘विधवा’ का नहीं जहाँ है,
छोड़ गए शापित सा जीवन,
सपनों को सुलगाए कौन?
आँखों से खोए सपने
मुस्कान को वापस लाए कौन?
आँखों से खोए सपने
मुस्कान को वापस लाए कौन?
!!! मधुसूदन !!!
samajhae kaun ?
aankhon se khoe sapane
muskaan ko vaapas lae kaun?
kalatak jannat pheekee jisase
sej nahin vah bhaatee,
kaante kya makhamal bhee palapal
phool ko dank chubhaatee,
nit risate sailaab nayan,
dheeraj ka baandh bandhaaye kaun?
aankhon se khoe sapane
muskaan ko vaapas lae kaun?
tan ka le shrrngaar uda ek
saut-pavan ka jhoka,
shvet-vasan mein khvaab jhulasate,
kismat ne dee dhokha,
cheekh raha dil maun jubaan,
is dard ka agan bujhae kaun?
aankhon se khoe sapane
muskaan ko vaapas lae kaun?
vidhava ka kya khvaab poochh len,
phursat kise yahaan hai,
rangon kee is duniyaan mein
vidhava ka nahin jahaan hai,
chhod gae shaapit sa jeevan,
sapanon ko sulagae kaun?
aankhon se khoe sapane
muskaan ko vaapas lae kaun?
aankhon se khoe sapane
muskaan ko vaapas lae kaun?
!!! Madhusudan !!!
Very tender and haunting. You have captured the pain of a widowed woman very well, Sir.
Dhanyawad apka pasand karne aur sarahne ke liye.
Welcome Sir
बहुत खूब…
सुक्रिया आपका।
बेहद खूबसूरती से बयान किया है आपने विधवा का दर्द।
करीब से देखने से उनके दर्द का अहसास होता है।
हँसती है मगर हंसी नही होती।
जी हाँ,सही फरमाया आपने।
आज मैं कुछ ना कहूंगा…..बस कुछ पूछना है आपसे…….एैसे क्यों लिखते है आप कि शब्द दिल को छु कर आँखों से।आँसुओं को निकाल देते है।
एक स्त्री जिसका सुहाग उजड़ गया हो उस पर क्या गुजरती होगी??????
बहुत बहुत धन्यवाद आपका कविता पसन्द करने और सराहने के लिए। सच में एक विधवा की जिंदगी कैसी होती है कोई करीब रहकर देखे। उसके मुस्कान में भी दर्द झलकता है। ऐसी जिंदगी मौत से बदतर है फिर भी जीना पड़ता है अपने बच्चों के लिए और माँ बाप के लिए।
बेहद मार्मिक कविता है।
और दर्दभरा जीवन भी जिसे लिख पाना मुश्किल।
Apke shabdo ka chayan aur prayog.. sarahniya hai!
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
वेदना तलाशती कृति, सुन्दर!
विधवा नारी जिसके दर्द को शब्दों में पिरोना सम्भव नहीं। सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
💔💔💔
आपने पूरी पीढ़ा शब्दों में बखूबी उतार दी
धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
Very nice sir.
Thank you very much.