Wada/वादा

जिंदगी है तूँ मेरी,इतना भी समझ न पाए,
फिर लफ्जों से बयान क्या करना,
जब आँखों में देख ना पाए समर्पण मेरे,
फिर वादों का ऐतबार क्या करना।
तुम वृक्ष हो मैं छाया,मैं मय तुम प्याला,
अगर तुम मिट गए तो हम बिखर जाएंगे,
तुझे खोना तो दूर,तुम रूठे तो मर जाएंगे,
तेरी अहमियत कितना मेरे जीवन में जब,
अबतक समझ न पाए,फिर बयान क्या करना,
जब आँखों में देख ना पाए समर्पण मेरे,
फिर वादों का ऐतबार क्या करना,
फिर वादों का ऐतबार क्या करना।
!!!मधुसूदन!!!

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