Wada/वादा
जिंदगी है तूँ मेरी,इतना भी समझ न पाए,
फिर लफ्जों से बयान क्या करना,
जब आँखों में देख ना पाए समर्पण मेरे,
फिर वादों का ऐतबार क्या करना।
तुम वृक्ष हो मैं छाया,मैं मय तुम प्याला,
अगर तुम मिट गए तो हम बिखर जाएंगे,
तुझे खोना तो दूर,तुम रूठे तो मर जाएंगे,
तेरी अहमियत कितना मेरे जीवन में जब,
अबतक समझ न पाए,फिर बयान क्या करना,
जब आँखों में देख ना पाए समर्पण मेरे,
फिर वादों का ऐतबार क्या करना,
फिर वादों का ऐतबार क्या करना।
!!!मधुसूदन!!!
अच्छी कविता है.
बहुत बार भावनाओं को बोल कर जताना भी ज़रूरी होता है.
माफ कीजियेगा देर से देखने के लिए। बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
कोई बात नहीं.
बेहद खूबसूरत जज़्बाती नज़्म है।
पुनः धन्यवाद आपका।
Most welcome,🌷
So true – beautiful portrayed
Punah dhanyawad apka pasand karne ke liye.
My absolute pleasure
Bahot badhiya
dhanyawad apka.
😍😍😍अपनी गर्लफ्रेंड के लिए लिखते हो न दा 😍😍❤
हा हा हा।ये अवसर नही मिला कभी।🙂
ये harinapandya ji ki ek kavita pdha aur comments me likhaa tha jise prakashit kiya hai.