Yaaden
जलता दीपक भी मुस्काता,
मेरी खुशियों खातिर,
अंतर्मन में झाँक के देखो,
मैं जलती दिन राती।1
चकाचौंध में खो बैठे तुम,
भूल गए सब वादे,
हंसी हमारी छीन लिया क्यूँ,
क्या थी भूल बता दे,
तुम हँसते मुस्कान छीन,
क्यूँ याद तुम्हें ना आती,
अंतर्मन में झाँक के देखो,
मैं जलती दिन राती।2
तुझे मुबारक खुशियाँ तूँ,
मुस्कान हमारी दे दे,
या छोड़ा है जिस्म इसे भी,
आ अपने संग ले ले,
छोड़ कबाड़ा चला गया क्यूँ,
कैसा बना कबाड़ी,
अंतर्मन में झाँक के देखो,
मैं जलती दिन राती।
अंतर्मन में झाँक के देखो,
मैं जलती दिन राती।3
!!!मधुसूदन!!!
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Bahut sunder
Sukriy apka…
🙏🏻🙏🏻
bdhiya
sukriya Shubhankar ji.
वह
sukriya.
Lajawab.bahut umda.
Sukriya apka..
swagat hai aapka.
उम्दा लेखन 👏👏👏
Sukriya apka…
बढ़िया
धन्यवाद आपका।
सुप्रभात भाई बहुत ही उम्दा लेखनी
सुक्रिया भाई अपने पसन्द किया और सराहा।