
मुझसे भी मेरे दिल का खास,हुआ है कोई।
मौसम संग बदले सारे ख्वाब,
दुआ है कोई।
आते वे पास,हम ना होते इस जहान में,
एक साथ चाँद कई दिखते आसमान में,
उनकी अदाएं,बातें,आँखें,मुस्कुराहटें,
अस्त्र विचित्र,ध्वस्त गुरुर की इमारतें,
खुले बज्र जैसे दिल के किवाड़,
खुदा है कोई?
मौसम संग बदले सारे ख्वाब,
दुआ है कोई।
कैसी ये रुत कैसी आई ये उमरिया,
खुद से भी प्यारी लगे उनकी डगरिया,
रातों को नींद नही,चैन नही दिन में,
भूल बैठे भूख-प्यास,लाश उनके बिन मैं,
किसको सुनाऊँ दिले हाल,
अधमुआ है कोई,
मौसम संग बदले सारे ख्वाब,
दुआ है कोई।
उनका सानिध्य,लिए जाए इस भुवन से,
सुध-बुध गँवाए सारे एक ही छुवन से,
पलकें झुकी,हदों के बाँध चरमरा गए,
आए वे पास मानो जलजला सा आ गए,
खुद पर नही है इख्तियार,
मद हुआ है कोई,
मौसम संग बदले सारे ख्वाब,
दुआ है कोई।
उड़ते हैं धूल जैसे पहली बरसात में,
उड़ने लगे हैं हम भी वैसे उनके साथ में,
मिले वे जिंदगी बहार जैसे आ गए,
जेठ की मही मैं,वे आषाढ़ जैसे छा गए,
दो जिस्म जैसे एक जान,
हुआ है कोई,
मौसम संग बदले सारे ख्वाब,
दुआ है कोई।
!!!मधुसूदन!!!
रजनी की रचनायें says
बहुत खूबसूरत पंक्तियां 👌👌
Madhusudan Singh says
पुनः धन्यवाद आपका।
Shree says
👏👏👏👌👌👌👌
Madhusudan Singh says
🙏🙏🙏☺️
Sachin Dev Sharma says
सुन्दर पंक्तियाँ
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद।