Nav Jeevan
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देख जिंदगी में रंग,
मैं तो हो गई हूँ दंग,
कभी इतनी उमंग थी ना आई,
मेरी जिंदगी बहार चली आई।2
मैं थी नदियों की धार,
चली छोड़ के पहाड़,
बांध कोई भी जहां की,
नही रोक सकी चाल,
तेरी सागरों सी बाँह में समाई,
मेरी जिंदगी बहार चली आई।2
तू भी हवा के समान,
आये मेरे तू जहान,
शोख,अल्हड़,हसीन,
भरी तेरे संग उड़ान,
आंधियों सी आसमान में उड़ाई,
मेरी जिंदगी बहार चली आई।2
मैं थी आग के समान,
खुद जली,जलाना काम,
आये तुम करीब मेरे,
छाये मेघ के समान,
पल कैसी थी समझ मे ना आई,
मेरी जिंदगी बहार चली आई।2
ताप से पिघल रहे थे,
मेघ तुम बरस रहे थे,
बूंद-बूंद जल तुम्हारे,
ज्वार मंद कर रहे थे,
आग-पानी संग आज मुश्कुरायी,
मेरी जिंदगी बहार चली आई।2
!!! मधुसूदन !!!
Sir aap lajwaab hai… Bahut accha likha h
Sukriya sir ham to sadharan hai …lajwab to aap banaa rahe hain
Mai shayad hi poems padhta Hu but time milta h ek chakkar aapke kuchh post pe jarur lagaata Hu aur padh k acchha lagta h…..
Kyaa baat…hausla badhane ke liye sukriya apka.
बेहतरीन रचना .
Sukriya apne pasand kiya aur sarahaa.
😊😊
श्रृंगार रस से ओत प्रोत!! शुभकामनायें मधुसूदन जी
Dhanyawad Abhay ji… .Shubhkamnayen
बहुत सुन्दर …जिन्दगी बहार लाई
Sukriya apka..
अति सुन्दर
धन्यवाद ।
हर लफ्ज खुबसूरत
हर अहसास खुबसूरत
अपना मित्र मधुसूदन जी
अपने आप मे खुबसूरत
क्या बात है नागेश्वर जी…. आज कुछ ज्यादा खिंचाई नही कर रहे हैं?
नही मधुसूदन जी
क्या मिलेगा मुझे
आपको पीड़ा देकर
आपकी लेखनी सच मे अधिकारी है
प्रशंसा की
फिर भी अगर मुझ पर शंका हो
तो खेद प्रकट करता हूॅ
Nahi ..nahi ……na hi shankaa hai naa hi koyee pidaa…..aisa koyee.baat hi nahi hai Nageshwar ji jisme aap khed byakt karen…..mujhe achchha laga hai….dhanyawad apka…shubhratri mitra
खूबसूरत रचना.
dhanyawad apka….
waah.👌👐
dhanyawad…..
बहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी।
dhanyawad apka …..basand karne aur sarahne ke liye