Image credit: Google
क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?
थी एक कटोरी छोटी सी,
कुछ उसमे दाना-पानी थी,
लोहे की इन्हीं सलाखों में,
अब मेरी दुनियाँ सारी थी,
माना नफरत के काबिल तूँ,
फिर भी अपना मैं बोल दिया,
मैं भूल गयी थी दुनीयाँ को,
इस घर से नाता जोड़ लिया,
क्या हमसे तेरा स्वार्थ खतम,
क्यों ममता हमसे तोड़ लिया,
तू हमे बता ऐ दिलवाले,
क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?
उन्मुक्त गगन की मैं पंक्षी,
बहते पानी सी दुनियाँ थी,
धरती अपना अम्बर अपना,
अपनी ये दुनियाँ सारी थी,
तू कैद किया फिर पिंजर में,
क्यों अपनों से तुम दूर किया,
अपनी खुशियों के लिए हमें,
क्यों मेरी खुशियां छीन लिया,
अब ऐसी कौन खुशी पाया,
किससे तुम नाता जोड़ लिया,
तू हमे बता ऐ दिलवाले,
क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?
लो देख हमारे पंखों को,
पिंजर में तेरी टूट गई,
जो पंख बचे हैं पास मेरे,
उनसे उड़ना मैं भूल गई,
क्यों खोल दिया अब पिंजर तू,
कर दुनियाँ को बर्बाद मेरे,
क्यों बन बैठा दिलवाला तुम,
हैं दोस्तहीन संसार मेरे,
तू अगर हमें आजाद किया,
धरती पर हम गिर जाएंगे,
धरती पर रहनेवाले सब,
मिट्टी में हमे मिलाएंगे,
ऐ दुष्ट बता क्या मन मे है,
क्यूँ बन्दी गृह को खोल दिया,
क्या नशा तुम्हारी आँखों में,
क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?
क्या नशा तुम्हारी आँखों में,
क्यूँ पिंजर बन्धन खोल दिया–?
!!! मधुसूदन !!!
Pankh says
पंछी हो या इंसान कभी – कभी बंधन में बंधे रहने का एहसास आजादी के एहसास से कहीं ज्यादा प्यारा और खूबसूरत होता है।
ये बंधन ही तो होते है जो हमे किसी के लिये खास होने का किसी के अपने होने का एहसास कराते है।
Madhusudan Singh says
बिल्कुल सही कहा। हम भी बंधकर रहना चाहते हैं, मगर प्रेम पर जब स्वार्थ हावी हो जाये और कोई आजाद करने लगे तो दर्द होता है और बहुत ज्यादा होता है।
जैसे तलाक !
पत्नी या पति के रहते किसी और से आसक्ति और विवाद फिर आजादी!
harinapandya says
Emotion of this poem touches the heart👌👌
Madhusudan Singh says
Thank you very much for your appreciations.
शिखा says
बहुत सच्ची और खूबसूरत अभिव्यक्ति है।
Madhusudan says
Sukriya apka…apko achchha laga aur apne sarahaa.
mymaithilyworld says
ati khubsurat
Madhusudan says
Sukriya apka…
mymaithilyworld says
😊
VIJAY KUMAR SINGH says
पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय. बहुत सुंदर.
Madhusudan says
sukriya apka
रजनी की रचनायें says
बहुत ही अच्छा और खूबसूरती से अभिव्यक्ति की है। 👌👏
Madhusudan says
dhanyawad paka …hausla badhane ke liye…
Snehlata sethia says
सुन्दर अभिव्यक्ति
Madhusudan says
धन्यवाद आपका ।
Smriti Sneha blog says
Bahot achhi Kavita..
Madhusudan says
Dhanyawad apka
Smriti Sneha blog says
🙏🙏
Raj says
अच्छा हैं………..
Madhusudan says
Dhanyawad apka..
Abhay says
क्या बात है मधुसूदन जी, जोरदार 😀
Madhusudan says
Ha.. ha ..ha……..main pahle hi bol chuka hun kisi ke lekh se kuchh mile naa mile aapka lekh hampar gahra chhap chhod jaataa hai….bibas kar dete hain aap kuchh bhi likhne ko……hamne achchha likha mujhe nahi pataa.sukriya aapko achchha laga aur saraha…
Abhay says
अब मैं क्या बोलूँ 🙏🙏🙏
Madhusudan says
🙏🙏🙏