पीपल पेड़,
चहकती चिड़ियाँ,
शाम की बेला|1
आज उदासी,
बिछड़ गयी एक,
नन्हीं चिड़ियाँ |2
अपने सारे,
ब्याकुल मन से,
खोज के हारे।3
मानव धोखा,
समझ सकी ना,
भूख के मारे|4
जान गवाँई,
जाल में फंसकर,
एक गौरैया |5
भूखी चिड़ियां,
उलझ रही अब,
कौन बचाये।6
!!! मधुसूदन !!!
Sunny Kumar says
Manav dhokha samajh saki na ek goraiya.. bahut khub
Madhusudan says
Sukriya pasand karne ke liye…..
रजनी की रचनायें says
बहुत खूब।
Madhusudan says
सुक्रिया आपका।