कितनी हसीन दुनियाँ मेरी, खुशनसीब हम अगर साथ हो,
गर साथ हो जमीं पे नहीं रहते हैं कदम अगर साथ हो।
वे आग की दरिया हैं,तो हम बर्फ का गोला,
तिल,तिल पिघल रहे जलाता आग का शोला,
हैं आग की मलिका जलाना उनका काम है,
हम बर्फ पिघलकर बुझाना मेरा काम है,
है ग्रीष्म के मौसम पे चढ़ा शीत का मौसम
पानी बनाते बर्फ को वे, लौ बुझाते हम अगर साथ हो,
गर साथ हो जमीं पर नहीं रहते हैं कदम अगर साथ हो।
वे पेड़ की डाली में खिली पत्तों के जैसे
कितनी थी हसीं,शांत सजी डाली में ऐंठे,
हम बन पवन करीब से उनको जगा रहे,
मद्धिम सी अपनी चाल से उनको हिला रहे,
हम शांत वे बेचैन,हम चले तो चल दिए,
डाली से सारे रिश्ते तोड़ साथ हो लिए,
वे उड़ गए गगन में पवन बन के चले हम अगर साथ हो,
गर साथ हो जमीं पर नहीं रहते हैं कदम अगर साथ हो।
है प्रेम अगर स्वर्ग जमीं स्वर्ग है गगन,
ये रेत के टीले भी चमन से नहीं हैं कम,
फूलों से सजी सेज हो या कांटो से भरी,
टूटी हो खाट पास लगे झील में हैं हम अगर साथ हो,
गर साथ हो जमीं पे नहीं रहते हैं कदम अगर साथ हो।
!!! मधुसूदन !!!
gauravtrueheart says
👍👍👍👍👍
Madhusudan says
🙏🙏🙏🙏🙏
Confused Thoughts says
Khoobsoorat !
Madhusudan says
Sukriya aapka.
यादों के छाँव says
हम आपके साथ हैं कोई रहे या न रहे
Madhusudan Singh says
सुक्रिया
Md Danish Ansari says
bahut khub madhusudan ji kamaal kar gaye aap
Madhusudan Singh says
Sukriya…….apne pasand kiya wahi kamaal laa diya… Varna kamaal kahaa.
Md Danish Ansari says
aisa nahi hai bemishal ho
Madhusudan Singh says
Sukriya….
glimpseandmuchmore says
Very nice
Madhusudan Singh says
Thanks…
रजनी की रचनायें says
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। काविले तारिफ है।
Madhusudan Singh says
हौसला बढ़ाने के लिए सुक्रिया।
Abhay says
Beautifully carved..
Madhusudan Singh says
हमें नहीं पता—–तराशते तो आपके हौसलाई शब्द हैं—-सुक्रिया आपके प्रोत्साहन के लिए।
poonam upadhyay says
सुंदर पंक्तियां …
Madhusudan Singh says
आभार आपका आपने पसंद किया।