Sangam

तू चंदन लेप लगाती है,
मैं माटी तिलक लगाता हूँ,
धरती पर तेरे पांव कहा,
मैं बिस्तर धरा बनाता हूँ,
महलों की है तू चकाचौंध,
झोपड़पट्टी का शान प्रिये,
तेरा मेरा फिर मेल कहां,
तू जन्नत मैं श्मशान प्रिये।

तू भी इस माटी से निकली,
जिस माटी से हम निकले हैं,
कल की बाते कुछ याद करो,
जो चकाचौंध में बिखरे हैं,
मैं फूल तू खुशबू मेरी थी,
मैं तेरा था मुश्कान प्रिये,
कल मेरे बिन तेरी दुनियाँ,
कहती थी तूँ श्मशान प्रिये।

आओ कुछ शान घटा दो तुम,
खुशियां महलों में कहा प्रिये,
क्यों जहाँ दिखाने निकली हो,
खुद के अंदर भी झाँक प्रिये।

फिर मिल जाएंगे साथ मे दो,
कॉफी के संग में पान प्रिये,
जन्नत धरती बन जाएगी,
पूरे होंगे अरमान प्रिये।

!!! मधुसूदन !!!

You add sandalwood coating,

I use clay tilak,

Your feet on the earth said,

I make bed,

Palaces have you dazzle,

Pride of slum,

Where are you, my friend,

You janat I cremation dear

You also came out of this clay,

The clay which we have come out of,

Remember yesterday’s talk,

Those who are scattered in the glare,

I blossomed the fragrance of mine,

I was thy face,

Tomorrow my bin your world,

Say you cremation dear,

Let’s get some glory,

Khushiya palaces said dear,

Why did you get to show up,

Peep

Then you will find two,

With honey coffee,

Paradise will become earth,

Will be full

!!! Madhusudan !!!

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