DEEPAK KI AWAZ/दीपक की आवाज
मैं जलता जग रौशन करता, दुनियाँ मुझको दीपक कहता, जब तक तेल दिए में होती, मैं बाती संग जलते रहता, क्या मुझ सा तुम जल पाओगे,दुनियाँ रौशन कर पाओगे, बोलो ऐ इंसान स्वयं क्या मुझ जैसा तुम बन पाओगे? क्यों नफरत का म्यान बना है, इंसाँ से हैवान बना है, बदल धर्म की परिभाषा को […]