Khwahishen
बिखर कर संवरना,संवरकर बिखरना,
मुश्किल है हर ख्वाहिशों का संवरना,
बिखरते हो सच में तुम फूलों के जैसे,
मगर ख्वाहिशें तुम कभी गम ना करना।
तुम्हीं से सजी है जीवन हमारी,
जमीं पर कदम आसमां से है यारी,
चिड़ियों की पंखें भी झड़ती,संवरती,
मगर आसमां में चिड़ियां ही उड़ती,
चिड़ियों ने हमको उड़ना सिखाया,
ख्वाहिश तुम्हीं ने सपने दिखाया,
तुम से सजी है गुलशन हमारी,
फूलों के संग-संग कांटे भी प्यारी,
संकट है सच में मगर ना ठिठकना,
ख्वाहिशें हमारी कभी गम ना करना।
तुम्हें बंधनों में जकड़ना है मुश्किल,
चाहत को तेरी समझना है मुश्किल,
संवरते हो हम भी संवरते हैं संग में,
बिखरते हो तुम फिर सम्हलना है मुश्किल,
मगर तितलियों सी हवा में तू रहना,
ख्वाहिशें हमारी कभी गम ना करना।
!!! मधुसूदन !!!
बहुत अच्छा।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।