आया सावन हम सब रहते जिसके इंतजार में,
रंग-बिरंगी खुशियां सारी,सिमटी है इस माह में।
कदमताल में चले कांवरिया,
सबके मनवाँ हरषे ला,
ठंढी,ठंढी पवन चले संग,
रिमझिम बदरा बरसे ला,
गाँव,शहर हर जगह,
शिवालय में भक्तों का मेला है,
नर,नारी का प्रेम अलौकिक,
सोमवार अलबेला है,
गूंज उठा है बम बम भोले बाबा के दरबार में.2,
रंग-बिरंगी खुशियां सारी,सिमटी है इस माह में।
बेलपत्र संग भांग,धतूरा,
बाबा भोग लगावेला,
देव,दनुज,गन्धर्व,नाग,नर,
भूत-प्रेत सब भावेला,
मंदिर-मंदिर मन की तृष्णा,
शिव जी तो घट-घट में हैं,
मिट्टी का शिवलिंग अगर,
उसमें भी शिव जी बसते हैं,
जल का भी एक रूप हैं भोला,लिखी शिवपुराण में,
रंग – बिरंगी खुशियां सारी, सिमटी है इस माह में।
!!! मधुसूदन !!!
शिखा says
बहुत खुब,आपने अपनी इन सभी कविताओं में सावन मास का बहुत सुंदर चित्रण किया है।
Madhusudan says
धन्यवाद आपका आपने पढ़ा और सराहा।
रजनी की रचनायें says
ऊँ नमः शिवाय।
Madhusudan says
Jai bholenaath