ANKHEN/आँखें
मेरे प्रिय मित्र,भाई और ब्लॉगर निमिष जी ने अपने ब्लॉग पर एक कविता प्रकाशित की जिसका शीर्षक है “आँखें” जिसे पढ़ कुछ शब्द निकल पड़े। प्रस्तुत है:- पता नही पर्वत की चोटी पर जमी बर्फ कैसे पिघली,और कैसे उसे सहेज असंख्य पत्थरों,चट्टानों को लांघते,इठलाते,बलखाते,उन्मुक्त बहनेवालीमीठे जल की मल्लिका निर्झरणी,सागर से जा मिली,कभी पूछना!कभी पूछना उसनेउस […]