Khwahish/ख्वाहिश

हमारे एक प्रिय ब्लॉगर Padmaja ramesh जी की रचना से प्रभावित होकर लिखी गई रचना– विस्मृत ना होती यादें और पल गुजरे वापस आ आते,काश कि हम बच्चे बन जाते,काश कि हम बच्चे बन जाते।है ख्वाहिश फिर से पढ़ने की,यारों संग मस्ती करने की,था नही बदलना कुछ विशेष,करते जो छूट गया है शेष,नाना,नानी का सत्य […]

Posted in Hindi Poem, Jiwan DarpanTagged , 22 Comments on Khwahish/ख्वाहिश

LAKSHYA/लक्ष्य

बच्चे ही दौड़ते,बुजुर्ग नही दौड़ते,कभी गौर करना तब,जब बच्चों के पाँवधरती पर पड़ते।बीज शांत तबतक,जबतक गर्भ में होते,अंकुरण का देर,फिर तो पल-पल ही बढ़ते,अंकुर को वृक्ष होते देर नही लगते,बच्चे ही दौड़ते,बुजुर्ग नही दौड़ते।छोड़ दो बहलाना खुद को,किस बाग को,सजाना सोचो,वृक्ष तो स्थिर,तेरे पाँव,किधर जाना सोचो,ख्वाब गर बदले,मंजिल बदल जाएगी,पलभर की चूक,रण-निर्णय बदल जाएगी,भगीरथ प्रयास […]

Posted in Hindi Poem, Jiwan DarpanTagged , 32 Comments on LAKSHYA/लक्ष्य

DIL KI SOCH/दिल की सोच

Image Credit : Google दिल कहता है उड़ जाने को,चल दूर कहीं बस जाने को। जँह छल,नफरत ना यार, जहाँ ना मजहब की दीवार, ना कोई जात-पात का भेद, जहाँ ना सरहद का मतभेद, ना कोई पोथी,पतरा,ग्रन्थ, ना कोई मुल्ला,पंडित,सन्त, जहाँ पर घण्टा नहीं अजान, जहाँ पर अल्लाह ना भगवान, दिल कहता है उड़ जाने […]

Posted in Jiwan dharaTagged 44 Comments on DIL KI SOCH/दिल की सोच

JIWAN KA KHEL/जीवन का खेल

उपवन को महकाने आए, फूल को महक दिखाने आए, जिसने दी आँखों में आँसू हँसना वही सिखाने आए। जीवन का ये खेल निराला, देते अपने बन विष प्याला, कुछ ऐसे अपने जीवन में बन बैठे जिनके मतवाला। चिड़ियों को एक साथ चहकते फूलों को काँटों पर हँसते, देखा वृक्ष अडिग धरती पर, जिसके बल पर […]

Posted in DIL, LoveTagged , 33 Comments on JIWAN KA KHEL/जीवन का खेल