Udaasi
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गए हो छोड़कर जब से, उदासी ही उदासी है,2
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है,
गए हो छोड़कर जब से———।
नही है चैन अब दिन में,
नहीं है नींद रातों में,
बहाऊँ अश्क का दरिया,
तड़पती स्याह रातों में
ये मखमल सेज रातों में, हमे कांटे चुभाती है,2
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है,
गए हो छोड़कर जब से———।
खुली आँखों मे तुम ही हो,
तुम्ही हो बंद आंखों में,
तुम्ही कण-कण में हो मेरे,
तुम्ही हो मेरी साँसों में,
मगर मैं फिर भी हूँ तन्हां,ये सावन भी जलाती है,2
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है,
गए हो छोड़कर जब से———।
ये सूरज,चाँद और तारें,
थे कल अब भी जहाँ में हैं,
धरा,अम्बर,पवन,जल भी,
थे कल अब भी यहाँ पर हैं,
ये कैसी मेरी किश्मत है,बदल दी सब कहानी है,2
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है,
गए हो छोड़कर जब से———।
तुम्हारी याद की दरिया,
बहा ले जाती किश्ती को,
निकलना चाहूँ मैं जब भी,
डुबाती मेरी किश्ती को,
बिना पतवार की किश्ती में उलझी तेरी दासी है,2
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है,
मीन मैं हूँ बिना जल के,
जलूँ बिन तेल की बाती,
है रौशन आज भी आँगन,
मगर घर स्याह है साथी,
मुक्कदर लिख ना पाये हम,कलम मैं तुम स्याही है,
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है।
गए हो छोड़कर जब से———।
किए क्या जुर्म बतला दे,
बनाया गम की शहजादी,
बता ऐ हमसफ़र मेरे,
किया क्यों मेरी बरबादी,
तड़पती प्यार की दरिया,वीरानी ही वीरानी है,2
बताएं हम तुम्हें कैसे,ये अखियाँ कितनी प्यासी है,
गए हो छोड़कर जब से, उदासी ही उदासी है।
!!! मधुसूदन !!!
Since leaving, sadness is sad, 2
Tell us how much you are, how many pieties are these,
Except since leaving ———.
There is no Chain now in the day,
Not in sleepy nights,
The river of Ashu,
In the dark night
These velvet sage nights, we shive thorns, 2
Tell us how much you are, how many pieties are these,
Except since leaving ———.
You are only in open eyes,
You are in closed eyes,
You are in the particles of mine,
You are in my breath,
But I am still thaana, this saawan burns too, 2
Tell us how much you are, how many pieties are these,
Except since leaving ———.
These sun, moon and stars,
Where were they in the present day,
Dhara, Amber, Pawan, Water too,
They were here tomorrow,
How is this my destiny, changed all is the story, 2
Tell us how much you are, how many pieties are these,
Except since leaving ———.
The river of your memory,
The sacking rider,
Whenever I want to leave,
Dunky my rook,
Your maid is in trouble without rush, 2
Tell us how much you are, how many pieties are these,
Pisces I am without water,
Water junk bin oil wick,
Even today in the courtyard,
But the house is the companion companion,
I can not write a mucker, I have you ink in pen,
Tell us how much you are, how many pheasis are they.
Except since leaving ———.
What did the crime tell?
The Princess of the Gum,
Tell me humsafar me,
Why did my destruction,
The cradle of love, the desert, the desolation is desolate, 2
Tell us how much you are, how many pieties are these,
Since leaving, sadness itself is sadness.
!!! Madhusudan !!!
So heart touching..Very nicely written..I like the third stanza the most…
Thank you very much for your valuable comments.
बहुत खूब,
स्याही ही तो ऐसी चीज है,
जो मन की वयथा बतलाती है,
गए छोड़ गये हो जबसे उदासी ही उदासी है।
dhanyawad apka ….apko kavita achchhi lagi aur apne ise saraahaa.