POLITICS/राजनीति
जनता की खुशियां ना तुम्हें पसंद है,ना ही उन्हें खुशहाल करने की मेरी कोई मंशा,तेरी मेरी हमदोनों की ख्वाहिशें एक,कैसे कुर्सी को पाऊं।बह रहे हैं रक्त अब भी,कल भी लहू ही बहेगा,पीस रहे हैं गरीब अब भी,कल भी गरीब ही तड़पेगा,कुछ नही बदला,कल में और आज में,ना ही कुछ कल बदलने वाला,तख्त वही,ताज भी वही होगा,बदल […]