Kisaan ki Byathaa
आज अन्नदाता किसान मानसून से जुआ खेलते-खेलते अपना धैर्य खोते जा रहे हैं।उनमें से अधिकतर कर्ज में डूब जानवर से भी बदतर जिंदगी जीने को बेबस हैं।उन्हीं किसानों की बिबसता दर्शाने का एक छोटा प्रयास—
आज अन्नदाता किसान मानसून से जुआ खेलते-खेलते अपना धैर्य खोते जा रहे हैं।उनमें से अधिकतर कर्ज में डूब जानवर से भी बदतर जिंदगी जीने को बेबस हैं।उन्हीं किसानों की बिबसता दर्शाने का एक छोटा प्रयास—
जनता की खुशियां ना तुम्हें पसंद है,ना ही उन्हें खुशहाल करने की मेरी कोई मंशा,तेरी मेरी हमदोनों की ख्वाहिशें एक,कैसे कुर्सी को पाऊं।बह रहे हैं रक्त अब भी,कल भी लहू ही बहेगा,पीस रहे हैं गरीब अब भी,कल भी गरीब ही तड़पेगा,कुछ नही बदला,कल में और आज में,ना ही कुछ कल बदलने वाला,तख्त वही,ताज भी वही होगा,बदल […]
Happy Friendship day. जितना सोचूं, जितना याद करूं,दिल उतना ही विस्तार लेता,प्रेम से लबालब,असीमित,अथाह,पाने को सानिध्य,उठती जिसमें प्रेम की ऊंची ऊंची लहरें,किस किस ने ऐसा पारावार देखा।दौलत अकूत कहींदाने दाने को मोहताज,दोस्ती की देते जिसकी सभी ही मिसाल,वो ना मैं सुदामा,ना ख्वाहिश उस श्याम की,आप मिल गए शायद कृपा है प्रभु राम की,गंगा सा निर्मल,सावन […]
तप तप कर धूप में संघर्षों के निखरती रही,लोग परेशान मगर हंसती रही,चलती रही शूल भरी राहों में,खुशियां मजबूर,समाती रही उसकी बाहों में,कांटों भरा सफर,बिस्तर गुलाब का,बेखबर उसके दर्द से,मगर ख्वाहिश सबकी आज वैसे ही मुस्कान का।दो अक्षरों का नाम ध्रुव,उपेक्षित,तिरिष्कृत अपनों सेमगर हीनता से परे अनवरत संघर्षरत,चमकता आसमान में,दो अक्षरों में ही सिमटी सुमा,किस किस […]
सुकून अगर दास होता महलों का,तो गरीबों का चेहरा नही चमकता,सुख गुलाम होता दौलत का,तो कभी गरीब नही हंसता,सदैव होती चिंता की लकीरें उनके चेहरे पर,मगर इनके चहरे पर ना भय,ना चिंता,ना ही गरीबी का दर्द झलकता,सिर पर झूला झूलते बच्चे,बाहों में बदहवास सोती जान,हाथों में कंगन,पैरों में पायल,वह कोई रानी से कम नहीं,ना ही […]